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सम्भावित उत्तर -
आधुनिक भारत के क्रमिक विकास में उन्नीसवीं शताब्दी के सुधार आन्दोलनो ने अति महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने समाज को जनतांत्रिक बनाने, घृणित रिवाज़ों और अंधविश्वासों को दूर करने, ज्ञान के प्रसार और एक विवेकपूर्ण तथा आधुनिक दृष्टिकोण के विकास को समर्थन प्रदान किया है। हिन्दू समाज के बीच हुए आंदोलनो ने अनेक सामाजिक व धार्मिक कुरीतियों पर प्रहार किया। इसमें बहु देववाद और मूर्ति पूजा, देवीशक्ति वाद तथा धार्मिक प्रधानों की तानाशाही की आलोचना की। जाति प्रथा का विरोध आदर्श नैतिकता और इसकी फूट डालने की प्रवृति की वजह से किया गया। ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज, रामकृष्ण मिशन, ज्योतिबा फूले तथा नारायण गुरु का इसमें सर्वाधिक योगदान रहा। इसके अतिरिक्त स्त्रियों की दशा में सुधार के लिए भी काफ़ी प्रयास किए गए।
मुसलमानों के बीच अलीगढ़ में अहमदिया आंदोलनो ने इन विचारों को गति प्रदान की। अहमदिया आंदोलन ने 1890 में अपना स्वरूप धारण किया तथा लोगों के बीच भाईचारा व स्वतंत्र पश्चिमी शिक्षा की वकालत की। विधवा विवाह तथा शिक्षा का समर्थन करते हुए अलीगढ़ आंदोलन ने मुसलमान समाज में एक नया लोकाचार पैदा करने की कोशिश की।
उक्त सभी प्रयासों ने न केवल सामाजिक पिछड़ेपन को दूर करने में मदद की बल्कि महिलाओं को भी मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जो किसी भी देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।