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डिसक्लेमर- यह डेटा वन विभाग, राजस्थान के प्रशासनिक प्रतिवेदन 2023-24 पर आधारित है।
प्रदेश का वानिकी परिदृश्य -
प्रदेश में कुल अभिलिखित वन क्षेत्र - 32,921.01 वर्ग किलोमीटर है। (राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के सापेक्ष 9.60% है)
राजस्थान वन अधिनियम 1953 के प्रावधानों के अनुरूप आरक्षित वन 36.99%, सुरक्षित वन- 56.51% और अवर्गीकृत वन 6.50 है।
भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 के अनुसार - राज्य का वनावरण (Forest Cover)- 16,654.96 वर्ग किलोमीटर तथा वृक्षावरण(Tree Cover) - 8733 वर्ग किलोमीटर है।
राज्य का कुल वनावरण व वृक्षावरण - 25387.96 वर्ग किमी (राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 7.42 प्रतिशत)वनों से जुड़ी राज्य की दो नई परियोजनाएं -
1. Rajasthan Afforestation and Biodiversity Conservation Project (RABCP) - JICA के सहयोग से 19 ज़िलों में चलायी जा रही है।
2. Rajasthan forestry and biodiversity development project(RFBDP)- AFD फ्रांस के सहयोग से 13 जिलो में लागू है।राजस्थान को हरित प्रदेश बनाने की दिशा में राजस्थान ग्रीनिंग एंड रिवाइल्डिंग मिशन (RGRM) के तहत वनस्पति आवरण बढ़ाने और वन क्षेत्रों के बाहर हरियाली बढ़ाने के लिए ट्री आउटसाइड फ़ॉरेस्ट इन राजस्थान (TOFR) योजना लागू की गई है।
वन क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए चार प्रमुख संस्थान -
1. राजस्थान वानिकी एवं वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान, जयपुर
2. राजस्थान वन प्रशिक्षण केन्द्र, अलवर
3. मरू वन प्रशिक्षण केन्द्र, जोधपुर
4. वन्यजीव प्रबंधन एवं रेगिस्तान पारितंत्र प्रशिक्षण केन्द्र,
तालछापर राज्य के चार जैविक उद्यान -
1. माचिया जैविक उद्यान, जोधपुर
2. सज्जनगढ़ जैविक उद्यान, उदयपुर
3. नाहरगढ़ जैविक उद्यान, जयपुर
4. अभेड़ा जैविक उद्यान, कोटा
निर्माणाधीन - बीकानेर में मरूधरा जैविक उद्यान तथा अजमेर में पुष्कर जैविक उद्यान का विकास किया जा रहा है।
राजस्थान के चार जंतुआलय जयपुर, उदयपुर, कोटा एवं बीकानेर में स्थित है उदयपुर जंतुआलय को पक्षी घर के रूप में विकसित किया जा चुका है जबकि जयपुर एवं बीकानेर स्थित जंतुआलय को पक्षी घर के रूप में विकसित किया जा रहा है।
राजस्थान के बाघ संरक्षित क्षेत्र
वर्ष 2023-24 में धौलपुर-करोली टाइगर रिज़र्व की अधिसूचना जारी की गई है जो राज्य का पांचवां टाइगर रिज़र्व है
पक्षी संरक्षण कार्यक्रम
इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ़ वाइल्ड लाइफ़ हैबिटैट योजना
भारत सरकार द्वारा योजना के तहत केंद्र का 60% वह राज्य का 40% हिस्सा निर्धारित है।
योजना के अंतर्गत 21 संरक्षित क्षेत्रों के अंदर ग्रेट इंडियन बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम, खरमोर संरक्षण तथा गिद्ध संरक्षण हेतु कार्य चलाए जा रहे हैं।
क्रिटिकल एंडेंजर्ड राज्य पक्षी गोडावण के संरक्षण हेतु भारत सरकार भारतीय वन्यजीव संस्थान एवं राज्य सरकार द्वारा त्रिपक्षीय क़रार के अंतर्गत जैसलमेर के सम क्षेत्र में गोडावण पक्षी का कृत्रिम प्रजनन प्रारंभ कर दिया गया है।
इसके अंतर्गत 29 चूज़ों का पालन पोषण किया जा रहा है।खरमोर (लेसर फ़्लोरिकन) पक्षी के संरक्षण के लिए 11 चूज़ों का पालन पोषण हो रहा है।
हरित मुनिया का संरक्षण प्रजनन उदयपुर पक्षी उद्यान में किया जाना प्रारंभ हुआ है।
पैंथर के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट लेपर्ड-
सर्वप्रथम झालाना जयपुर को चयनित कर के लिए लैपर्ड सफारी की शुरुआत की गई।
वर्तमान में झालाना, आमागढ़, कुंभलगढ़, रावली टाटगढ़, जयसमंद, शेरगढ़(बारां), माउंट आबू , खेतड़ी बसियाल, जवाई बाँध एवं बस्सी तथा सीतामाता अभयारण्य में प्रोजेक्ट लेपर्ड चलाया जा रहा है।
राज्य में स्थित चिड़ियाघरों, जैविक उद्यान, कृत्रिम प्रजनन केन्द्र एवं रेस्क्यू सेंटर पर वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्द्धन में सहायता के लिए राजस्थान सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1958 के अंतर्गत राजस्थान एक्स सीटू कंजर्वेशन अथॉरिटी(RESCA) का गठन किया गया है।